जब एक बच्चा जन्म लेता है तो वह माँ के पेट से ही बोली सीखकर नहीं आता | उसे भाषा का पहला ज्ञान अपने माता–पिता द्वारा बोले गए प्यार भरे शब्दों से ही होता है| भारत में अधिकतर बच्चें सर्वप्रथम हिंदी में ही अपना माँ के प्यार भरे बोलों को सुनते है | हिंदी हिंदुस्तान की भाषा है, यह भाषा है हमारे सम्मान , स्वाभिमान और गर्व की, हिंदी ने हमे विश्व में एक नई पहचान दिलाई है.
ऐसे ही विचार प्रकट किये गये है हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आईपीएस एकडेमी के मानवीय विभाग एवम राष्ट्रीय सेवा योजना के द्वारा आयोजित “वाघ्मिता कार्यक्रम” में | कार्यक्रम की शुरुवात सरस्वती पूजन के साथ हुई | कार्यक्रम में मुख्य अथिति डॉ. वी. जी कुलकर्णी (प्रिंसिपल आईपीएस एकडेमी), रवि सक्सेना (रजिस्ट्रार) आथिति श्री राम शर्मा, डॉ. शालिनी माथुर (विभागाअध्यक्ष मानवीय विभाग ) उपस्थित रहे | साथ ही कार्यकर्म को रोचक बनाने के लिए वाद विवाद प्रतियोगिता कराइ गई जिसमे 50 से आधिक बच्चों ने भाग लिया , जिसमे निर्णायक श्रीमती अलका भार्गव एवम् श्री राम शर्मा जी रहे | जिसमे पक्ष के प्रथम विजेता ऋषिकेश द्विवेदी द्वितीय विजेता शिवम् सिंहगौर, विपक्ष के प्रथम विजेता अज़ीज़ बोहरा द्वितीय विजेता शिवानी सिंह रहे | सभी आथितियों ने अपने अपने विचार रखते हुए भारतीय संस्कृति, समाज , मात्र भाषा , और सोच पे जोर दिया | आथितियों का स्वागत डॉ. ममता गोखले, आभार प्रदर्शन श्रीमती अलका सक्सेना ने किया |
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